मारुति स्तोत्र: हनुमान जी का आशीर्वाद पाने के सरल उपाय – Maruti Stotra || Hanuman Stotra in hindi

हनुमान जी को शक्ति, साहस और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। उनके स्तोत्रों में एक विशेष स्थान रखता है मारुति स्तोत्र, जो हर प्रकार के संकट, तनाव, और बाधाओं को दूर करने वाला है। यह स्तोत्र न केवल भक्तों को आध्यात्मिक बल प्रदान करता है, बल्कि उनके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि भी लाता है। आइए, इस दिव्य स्तोत्र को गहराई से समझें।

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मारुति स्तोत्र क्या है?

मारुति स्तोत्र भगवान हनुमान जी की महिमा का वर्णन करता है। इसे संत रामदास स्वामी ने रचा था, जो छत्रपति शिवाजी महाराज के आध्यात्मिक गुरु और एक महान संत थे। यह स्तोत्र उन भक्तों के लिए विशेष है जो अपने जीवन में आत्मबल, साहस और शांति चाहते हैं। संस्कृत में रचित इस स्तोत्र को पढ़ने से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं, और भक्त को हनुमान जी का आशीर्वाद मिलता है।

हनुमान मारुति स्तोत्र – Hanuman Stotra

भीमरूपी महारुद्रा, वज्र हनुमान मारुती।

वनारी अंजनीसूता, रामदूता प्रभंजना ।।1।।

महाबळी प्राणदाता, सकळां उठवीं बळें ।

सौख्यकारी शोकहर्ता, धूर्त वैष्णव गायका ।।2।।

दिनानाथा हरीरूपा, सुंदरा जगदंतरा।

पाताळ देवता हंता, भव्य सिंदूर लेपना ।।3।।

लोकनाथा जगन्नाथा, प्राणनाथा पुरातना ।

पुण्यवंता पुण्यशीला, पावना परतोषका ।।4।।

ध्वजांगे उचली बाहू, आवेशें लोटिला पुढें ।

काळाग्नी काळरुद्राग्नी, देखतां कांपती भयें ।।5।।

ब्रह्मांड माईला नेणों, आवळें दंतपंगती।

नेत्राग्नी चालिल्या ज्वाळा, भृकुटी त्राहिटिल्या बळें ।।6।।

पुच्छ तें मुरडिलें माथां, किरीटी कुंडलें बरीं।

सुवर्णकटीकासोटी, घंटा किंकिणी नागरा ।।7।।

ठकारे पर्वताऐसा, नेटका सडपातळू।

चपळांग पाहतां मोठें, महाविद्युल्लतेपरी ।।8।।

कोटिच्या कोटि उड्डाणें, झेपावे उत्तरेकडे ।

मंद्राद्रीसारिखा द्रोणू, क्रोधे उत्पाटिला बळें ।।9।।

आणिता मागुता नेला, गेला आला मनोगती ।

मनासी टाकिलें मागें, गतीस तूळणा नसे ।।10।।

अणूपासोनि ब्रह्मांडा, येवढा होत जातसे।

तयासी तुळणा कोठें, मेरुमंदार धाकुटें ।।11।।

ब्रह्मांडाभोंवते वेढे, वज्रपुच्छ घालूं शके।

तयासि तूळणा कैचीं, ब्रह्मांडीं पाहतां नसे ।।12।।

आरक्त देखिलें डोळां, गिळीलें सूर्यमंडळा ।

वाढतां वाढतां वाढे, भेदिलें शून्यमंडळा ।।13।।

धनधान्यपशुवृद्धी, पुत्रपौत्र समग्रही ।

पावती रूपविद्यादी, स्तोत्र पाठें करूनियां ।।14।।

भूतप्रेतसमंधादी, रोगव्याधी समस्तही ।

नासती तूटती चिंता, आनंदें भीमदर्शनें ।।15।।

हे धरा पंधराश्लोकी, लाभली शोभली बरी।

दृढदेहो निसंदेहो, संख्या चंद्रकळागुणें ।।16।।

रामदासी अग्रगण्यू, कपिकुळासी मंडण।

रामरूपी अंतरात्मा, दर्शनें दोष नासती ।।17।।

।। इति श्रीरामदासकृतं संकटनिरसनं मारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ।।

मारुति स्तोत्रम्

ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय।

प्रतापवज्रदेहाय। अंजनीगर्भसंभूताय।

प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय।

भूतग्रहबंधनाय। प्रेतग्रहबंधनाय। पिशाचग्रहबंधनाय।

शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय। काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय।

ब्रह्मग्रहबंधनाय। ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय। चोरग्रहबंधनाय।

मारीग्रहबंधनाय। एहि एहि। आगच्छ आगच्छ। आवेशय आवेशय।

मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय। स्फुर स्फुर। प्रस्फुर प्रस्फुर। सत्यं कथय।

व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन

शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन। अमुकं मे वशमानय।

क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय।

श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय

चूर्णय चूर्णय खे खे

श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं कुरु कुरु

ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा

विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु।

हन हन हुं फट् स्वाहा॥

एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति॥

इति श्रीमारुतिस्तोत्रं संपूर्णम्॥

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मारुति स्तोत्र का पाठ पढ़ने के फायदे

हनुमान जी के इस स्तोत्र का पाठ करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यहाँ इसके प्रमुख फायदे बताए गए हैं:

1. मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति

इस स्तोत्र का नियमित पाठ चिंता, तनाव और अवसाद को दूर करता है। यह मन को शांत करता है और आत्मा को शुद्ध करता है।

2. भय और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा

यदि आपको भय, अनहोनी, या बुरी शक्तियों का सामना करना पड़ रहा है, तो यह स्तोत्र ढाल की तरह आपकी रक्षा करता है।

3. आत्मबल और साहस में वृद्धि

हनुमान जी साहस के प्रतीक हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने से आत्मबल और साहस में वृद्धि होती है, जिससे आप जीवन की चुनौतियों का सामना आसानी से कर पाते हैं।

4. आर्थिक समस्याओं से छुटकारा

मारुति स्तोत्र के प्रभाव से आर्थिक तंगी और अन्य संकट दूर हो सकते हैं। यह आपके जीवन में धन और समृद्धि लाने का मार्ग प्रशस्त करता है।

5. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार

इस स्तोत्र का पाठ मानसिक शांति के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है। थकान और तनाव दूर होते हैं।

6. परिवार में शांति और सौहार्द

परिवार में यदि किसी प्रकार का विवाद या अशांति हो, तो इस स्तोत्र का पाठ घर में शांति और सौहार्द लाता है।

7. बाधाओं का निवारण

जीवन में आने वाली बाधाओं और कष्टों को दूर करने के लिए यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावी है।

8. यात्रा में सुरक्षा

यह स्तोत्र यात्राओं के दौरान सुरक्षा प्रदान करता है और अनहोनी घटनाओं से बचाता है।

9. बुरी आदतों से छुटकारा

यह स्तोत्र नकारात्मक आदतों, जैसे गुस्सा, आलस्य, और नकारात्मक सोच को दूर करने में सहायक है।

10. आध्यात्मिक उन्नति

मारुति स्तोत्र भक्त को भगवान के करीब लाकर उसकी आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है।

मारुति स्तोत्र का जाप करने की विधि

मारुति स्तोत्र का पाठ तभी फलदायी होता है जब इसे सही विधि से किया जाए। यहाँ पाठ की सरल और प्रभावी विधि दी गई है:

1. शुभ दिन और समय का चयन करें

मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है। सुबह और सूर्यास्त का समय विशेष फलदायक होता है।

2. स्वच्छता का ध्यान रखें

स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। पवित्रता का ध्यान रखना अति आवश्यक है।

3. पूजा स्थल की तैयारी करें

एक साफ जगह पर हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। वहाँ दीपक और अगरबत्ती जलाएँ।

4. आसन का उपयोग करें

जाप करते समय कुशासन या पीले कपड़े का आसन उपयोग में लाएँ।

5. मंत्र उच्चारण के साथ शुरुआत करें

“ॐ हनुमते नमः” का 11 बार जाप करें, फिर मारुति स्तोत्र का पाठ आरंभ करें।

6. पाठ की संख्या निर्धारित करें

कम से कम तीन बार इस स्तोत्र का पाठ करें। अधिक प्रभाव के लिए इसे 11 बार करें।

7. ध्यान केंद्रित रखें

हनुमान जी की छवि का ध्यान करते हुए पाठ करें। मन को भटकने न दें।

8. रुद्राक्ष माला का उपयोग करें

रुद्राक्ष माला के साथ पाठ करने से इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

9. संकल्प लें और आभार प्रकट करें

पाठ समाप्त करने के बाद भगवान हनुमान को धन्यवाद दें और अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

10. विशेष अवसरों पर पाठ करें

जन्मदिन, विवाह, और शुभ अवसरों पर इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

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Frequently Asked Questions (FAQs)

क्या मारुति स्तोत्र को केवल मंगलवार और शनिवार को ही पढ़ा जा सकता है?

मारुति स्तोत्र को किसी भी दिन पढ़ा जा सकता है। हालांकि, मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि ये दिन उनकी पूजा और आराधना के लिए समर्पित हैं। इन दिनों पाठ करने से भक्तों को अधिक आध्यात्मिक ऊर्जा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि आप इसे नियमित रूप से पढ़ते हैं, तो यह न केवल आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है, बल्कि आपके मन और आत्मा को शांति भी प्रदान करता है।

क्या इसे रात के समय पढ़ना उचित है?

हाँ, मारुति स्तोत्र का पाठ रात के समय भी किया जा सकता है। हालांकि, यह सुनिश्चित करें कि पाठ के समय का माहौल शांत हो और आपका मन एकाग्र हो। परंपरागत रूप से सुबह और सूर्यास्त का समय पाठ के लिए अधिक आदर्श माना गया है, क्योंकि इन समयों में ऊर्जा अधिक सकारात्मक और शांत होती है। रात के समय पाठ करते समय अपने मन को शांत रखें और अपनी प्रार्थना में पूरी श्रद्धा के साथ ध्यान केंद्रित करें।

क्या मारुति स्तोत्र के साथ किसी और मंत्र का जाप करना चाहिए?

हाँ, मारुति स्तोत्र के साथ “ॐ हनुमते नमः” मंत्र का जाप किया जा सकता है। यह मंत्र हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। मारुति स्तोत्र और इस मंत्र का संयोजन आपके पाठ को और अधिक प्रभावशाली बनाता है। इस प्रकार के संयोजन से आपकी प्रार्थना का असर तेज़ी से होता है और हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

क्या स्तोत्र का पाठ करने के लिए किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है?

मारुति स्तोत्र के पाठ के लिए किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, प्रार्थना को अधिक पवित्र और प्रभावी बनाने के लिए आप दीपक, अगरबत्ती और ताजे फूलों का उपयोग कर सकते हैं। रुद्राक्ष माला का उपयोग करना भी लाभकारी हो सकता है, क्योंकि यह ऊर्जा को सकारात्मक बनाए रखने में मदद करती है। इस प्रक्रिया से पाठ का प्रभाव बढ़ता है और हनुमान जी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

क्या इसका पाठ करते समय कोई विशेष दिशा का सामना करना चाहिए?

हाँ, पाठ करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है। इन दिशाओं को आध्यात्मिक रूप से सकारात्मक ऊर्जा से युक्त माना गया है। यदि आप इन दिशाओं में मुख करके पाठ करते हैं, तो ऊर्जा का प्रवाह सकारात्मक रहता है, जिससे पाठ का प्रभाव और अधिक बढ़ता है। इस दिशा में बैठकर प्रार्थना करने से ध्यान केंद्रित करना भी आसान हो जाता है।

बजरंग बली का पंचमुखी रूप क्यों है?

बजरंग बली का पंचमुखी रूप उनके पांच चेहरों के साथ आता है, जो प्रत्येक दिशा में विशेष शक्तियों को दर्शाता है:
नृसिंह: सुरक्षा और शक्ति का प्रतीक।
गरुड़: शक्ति और संजीवनी का प्रतीक।
वराह: पृथ्वी की रक्षा के लिए।
हयग्रीव: ज्ञान और शिक्षा का प्रतीक।
हनुमान: भक्ति और सेवा के लिए, जो उन्हें मुख्य रूप से दर्शाता है।

क्या हनुमान जी को ब्रह्मास्त्र से बांधा गया था?

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हाँ, हनुमान जी को ब्रह्मास्त्र से बांधने का एक अनोखा प्रसंग है। यह घटना उस समय की है जब हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका पहुंचे थे। लंका में प्रवेश करते ही उन्होंने अशोक वाटिका में बहुत तबाही मचाई और रावण के सैनिकों को हराया। जब रावण को यह खबर मिली, तो उसने मेघनाद को हनुमान को पकड़ने का आदेश दिया।

मेघनाद ने कई शक्तिशाली अस्त्रों से हनुमान जी पर हमला किया, लेकिन वे सभी व्यर्थ साबित हुए। अंत में, मेघनाद ने ब्रह्मास्त्र का उपयोग किया। हालांकि हनुमान जी ब्रह्मास्त्र की शक्ति को सहन कर सकते थे, लेकिन उन्होंने स्वयं को जानबूझकर ब्रह्मास्त्र से बंधने दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि वे देवताओं और उनके अस्त्रों का सम्मान करना चाहते थे।

यह घटना यह दिखाती है कि हनुमान जी सिर्फ शक्ति और साहस के प्रतीक नहीं थे, बल्कि वे विनम्रता और धर्म का पालन करने वाले भी थे। जब उन्हें रावण के दरबार में लाया गया, तो उन्होंने अपनी बुद्धि और चातुर्य से रावण के अहंकार को चुनौती दी।

क्या हनुमान जी का कोई पुत्र था?

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हाँ, हनुमान जी का एक पुत्र था जिसका नाम मकरध्वज था। मकरध्वज का जन्म एक चमत्कारिक घटना से हुआ था। जब हनुमान जी लंका जलाने के बाद अपनी जलती हुई पूंछ को समुद्र में बुझा रहे थे, तब उनके शरीर से पसीने की एक बूंद समुद्र में गिर गई। उस पसीने की बूंद को एक मछली (मकर) ने निगल लिया। बाद में, उसी मछली के गर्भ से मकरध्वज का जन्म हुआ।

मकरध्वज को पाताल लोक में अहिरावण, जो एक मायावी राक्षस और लंका का सहयोगी था, ने पाला। अहिरावण ने मकरध्वज को पाताल लोक का द्वारपाल नियुक्त किया। जब हनुमान जी श्रीराम और लक्ष्मण को अहिरावण से बचाने पाताल लोक पहुंचे, तब उनका सामना मकरध्वज से हुआ। मकरध्वज ने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए हनुमान जी से लड़ाई की, क्योंकि उसे अपने राजा का आदेश मानना था। लड़ाई के बाद मकरध्वज ने अपनी पहचान बताई और कहा कि वह हनुमान जी का पुत्र है।

हनुमान जी ने उसकी वीरता और निष्ठा से प्रभावित होकर उसे पाताल लोक का राजा बना दिया, ताकि वह धर्म के अनुसार शासन कर सके। मकरध्वज की कहानी रामायण के मुख्य संस्करणों में नहीं मिलती, लेकिन यह पौराणिक कथाओं और स्थानीय लोककथाओं में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

Conclusion

मारुति स्तोत्र भगवान हनुमान जी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक अद्भुत और प्रभावशाली माध्यम है। यह दिव्य स्तोत्र न केवल हमारे मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है, बल्कि हमारे जीवन को सकारात्मक ऊर्जा, साहस और समृद्धि से भरने का मार्ग भी दिखाता है। नियमित रूप से इसका पाठ करने से न केवल मानसिक बल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, बल्कि जीवन में आने वाली बाधाओं और चुनौतियों का सामना करने की शक्ति भी मिलती है।

यदि आप अपने जीवन में शांति, संतुलन और सफलता की तलाश में हैं, तो मारुति स्तोत्र को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। इसके माध्यम से हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन को नई ऊंचाइयों तक ले जाएं। यह स्तोत्र केवल एक पाठ नहीं, बल्कि एक ऐसा दिव्य माध्यम है जो हमारे जीवन को आध्यात्मिक और भौतिक दृष्टिकोण से समृद्ध बनाता है। हनुमान जी की कृपा से आपके जीवन में खुशियों, साहस और सकारात्मकता की कभी कमी नहीं होगी।

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